लेखनी कहानी -12-Apr-2022 शोर्ट स्टोरी लेखन # नमक
गर्मी की छुट्टियां हो गयी थी मनदीप और गौतम दो जिगरी दोस्त एक ही कालेज मे पढ़ते थे।गौतम गांव का रहने वाला था जबकि मनदीप उसी शहर मे रहता था जहां कालेज था । मनदीप ने गौतम से पूछा ,"यार अब की बार छुट्टियां बडी बोरिंग होने वाली है मम्मी पापा वही बोरिंग से आउटिंग पर ले जाएंगे मेरा बिल्कुल भी मन नही है क्यों ना अब की बार तुम्हारे गांव चला जाए। मैंने गांव देखा भी नहीं है ।"
गौतम भी खुश हो गया क्योंकि उसका भी अकेले गांव मे मन नही लगता था ।जिगरी दोस्त साथ होगा तो छुट्टियों का आनंद आ जाएगा। उन्होंने फटाफट पैकिंग की और मनदीप ने अपनी मम्मी पापा को बताया कि अब की बार वह गौतम के साथ उसके गांव जाएगा। उनकी हां होते ही दोनों दोस्त निकल पड़े गांव की ओर ।गौतम का गांव का रास्ता बस से पांच घंटे का था जहां बस उतारती थी वहां से दस बारह किलोमीटर अंदर की तरफ जा कर गौतम का गांव पड़ता था ।जब दोनों दोस्त बस से नीचे उतरे तो रात के नौ बज चुके थे । गर्मी के दिन थे सोचा ठंडे ठंडे पहुंच जाएंगे गौतम भी गांव के जमींदार का बेटा था। जमींदारी के नाम पर कुछ थोड़ा बहुत ही बचा था बस गांव मे अभी तक धाक ज़रूर थी ।पहले की तरह रहिसी नही थी फिर भी नाई घर आकर हजामत बना के जाता था ।गौतम के पिता का और मां का लाड प्यार ही था जो नाई ब्राह्मण खींचे चले आते थे उनकी हवेली पर ।वार त्योहारों पर गौतम की मां कभी खाली नही मोड़ती थी उनको।आज गौतम ने सोचा मां पिताजी को सरप्राइज़ दूंगा अचानक से ।इसी लिए वो तांगे के बजाय पैदल ही चल पड़े अपने गांव की ओर । मनदीप तो थोड़ा झिझक रहा था पर गौतम बोला,"यार अगर सही मायने मे गांव देखना है तो पैदल ही चलते है। मनदीप भी तैयार हो गया । दोनों गांव की ओर जाने वाली पगडंडी पर चल पड़े। शुरुआत मे तो वह संकीर्ण सी थी पर थोड़ी दूरी के बाद थोड़ा चौड़ी होती चली गयी। पगडंडी के दोनों तरफ खेत ही खेत थे। चांदनी रात मे खेत ऐसे चमक रहे थे जैसे सोना। मनदीप छोटे बच्चे की तरह उछल पड़ा और बोला,"यार तुम सही कहते थे असली गांव तो अब आ रहा है।"
वे आपस मे बातें करते जा रहे थे और उनको पता ही नही चला कब मे से एक औरत उनके साथ साथ चल रही थी गौतम ने जब पायल की आवाज सुनी तब उसका ध्यान भंग हुआ ।उसने मनदीप से कहा,"ये कब से हमारे साथ साथ चल रही है हमे पता ही नही चला।" गौतम ने उससे पूछा,"भौजी किसके घर से हो ?" पर वह औरत कुछ ना बोली और चुपचाप उनके साथ साथ चलती रही ।गौतम ने सोचा शायद शर्मा रही होगी और देर रात कही से आ रही होगी अकेले चलने के डर से हमारा साथ कर लिया ।
थोडी ही दूरी पर एक बरगद का पेड़ था और उसके साथ लगता गांव का शमशान भी था ।गौतम मनदीप को बताने लगा,"यार मै हमेशा जब छोटा था इधर आने से डरता था ।लोग कहते थे यहां बरगद की चुड़ैल घुमती है रात को और वह लोगों को खा जाती है । लेकिन अब ये सब बचकानी बातें लगती है ।"तभी वह घूंघट ओढ़े औरत जो उनके साथ साथ चल रही थी बोली,"बाबूजी आप ने उसे देखा है कभी ?"
इतने मे गोतम को उनके खानदानी नाई भीखू की आवाज सुनाई दी," लला बचों।जिसका जिक्र कर रहे हो वो तुम्हारे साथ साथ चल रही है।"
गौतम हक्का बक्का रह गया।उसने देखा वह चुड़ैल हंसती हुई बरगद के पेड़ पर चढ़ गयीऔर बोली,"बुड्ढे तुझे मै देखूंगी आज तुने मेरा शिकार छीना है ना मुझ से।"
जब वह पेड़ पर चढ रही थी तो गौतम और मनदीप ने उसके पैर देख लिए वे उल्टे थे ।उनको झुरझुरी सी चढ गई।ये तो भला हो भीखू काका का।गौतम भीखू को देख कर बोला,"काका आप और यहां आप यहां क्या कर रहे है?"
भीखू उसे बड़े लाड़ से देखता हुआ बोला,"लला मुझे आज जैसे पता चल गया था कि तुम आने वाले हो इस लिए तुम्हें लिवाने आ गया मुझे ये भी पता था कि ये साली तुम्हारा पीछा करेंगी इस लिए यहां बैठा तुम्हारी बांट जोह रहा था।"
"ये तुमने अच्छा किया चचा।"गौतम ने भीखू से कहा।
वह बोला,"चलों तुम्हें गांव तक लिए चलता हूं लला ।पन तुम तांगे मे क्यों नही आये।"
गौतम बोला,"चचा ये मेरा दोस्त है इसे गांव घूमना था इसलिए हम गांव की तरफ पैदल ही चल दिए।"
मनदीप ने उसकी ओर हाथ जोड़े तो वह खींसे निपोरता हुआ बोला,"जीते रहो जीते रहो बेटा।"
गौतम , मनदीप और भीखू गांव की ओर चल पड़े जब वे गांव की सीमा पर पहुंचे तो गौतम मनदीप से कोई बात कर रहा था उसका भीखू की ओर ध्यान ही नही था।वह कोई बात पूछने के लिए भीखू की ओर मुड़ा तो ये क्या भीखू तो था ही नही ।सुबह का धुंधलका हो गया था गौतम ने सोचा काका नित्य कर्म करने शायद अपने घर गये ।वे दोनों दोस्त गौतम के घर की ओर चल पड़े। थोड़ी सी दूर पर उसे अपने पिताजी आते दिखाई दिए।वैसे गौतम को पता था पिताजी इतनी सवेरे घर से कम ही निकलते है और आज सुबह सुबह पांच बजे पिताजी के साथ दो चार लोग और भी है उसने पिताजी से पूछा,"पिता जी आप इस वक्त यहां ? कोई बात हो गयी है क्या गांव में?"
उसके पिताजी ने जो बात बताई उससे गोतम और मनदीप को चक्कर आने लगे वो बोले,"हां बेटा रात भीखू नाई की मौत हो गयी । कोई अपना तो था नही उसका गांव साझा था अभी उसकी चिता को मुखाग्नि देकर आ रहे है।"
गौतम के मुख से एक शब्द भी नही निकला वह चुपचाप मनदीप को लेकर अपनी हवेली की ओर चल पड़ा ये सोचते हुए कि भीखू काका ने मरने के बाद भी किस तरह हमे उस चुड़ैल से बचा कर नमक का हक अदा किया।
जोनर # होरर
Seema Priyadarshini sahay
29-Apr-2022 09:06 PM
बहुत सुंदर
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Abhinav ji
28-Apr-2022 09:38 PM
Very nice👍
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अफसाना
18-Apr-2022 09:12 PM
बहुत खूब लिखा है।
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